बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।
कदे घर मैं टोटा था भारया,
मैं तो हांडू था मारा मारा,
मनै सोधि ना थी तन की।आज कमी नहीं मेरै धन की।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।
तनै ऐसी करदी मौज मेरी,
नोटा तै भरी रह गौज मेरी,
थम जाणो थे मेरे मन की।आज कमी नहीं मेरै धन की।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।
एक पोता पोती दी प्यारी,
खेले दे देकै किलकारी,
म्हारै शोभा घर आंगन की।आज कमी नहीं मेरै धन की।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।
तेरा भगत गुण गावै जी,
चरणा मैं शीश झुकावै जी,
चढ़ी मस्ती तेरे भजन की।आज कमी नहीं मेरै धन की।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।