बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।
Tag: Govardhan girdhari ji sudh lena hamari
आ जाओ अब तो गिरधारी,
रास रचाने कुंजन में,
नख पर धारि लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।
तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना।
बैकुंठ में रहकर गिरधारी,मुरली का बजाना भूल गए
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
सांवली सुरतिया है,
मुख पे उजाला।।
सिर पे मोर मुकुट है साजे,
और घुंघराले बाल,
अब तो सारा दुख भूलगी मारी हेली,
राम रतन धन पाय रे,
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
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