तर्ज,तुम तो ठहरे परदेसी
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
आज यहां कल वहां जाने कब आओगे।
हम तो कान्हा मन्दिर में रोज रोज आते हैं। मेरे मन मन्दिर में तुम कब आओगे।
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
आज यहां कल वहां जाने कब आओगे।
हम तो कान्हा मन्दिर में फूल रोज चढ़ाते हैं। मेरे मन मन्दिर में फूल कब खिलाओगे।
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
आज यहां कल वहां जाने कब आओगे।
हम तो कान्हा मन्दिर में ज्योत भी जलाते हैं। मेरे मन में ज्योत कब जलाओगे।
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
आज यहां कल वहां जाने कब आओगे।
हम तो कान्हा मन्दिर में सत्संग करते हैं। मेरे मन मन्दिर में रास कब रचाओगे।
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
आज यहां कल वहां जाने कब आओगे।
हम तो कान्हा मन्दिर में नाच भी लेते है। मेरे मन मन्दिर में डांस कब दिखाओगे।
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
आज यहां कल वहां जाने कब आओगे।