जब टूट जाता हु अपनों के सताने से,
Tag: Apne kanha ki sun lo shikayat
दही खालो मटकिया ने फोड़ो,
काया तेरी माटी की हवेली।
सुनो कान्हा कि ओ मैया, तेरा कान्हा सताता है,
बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे।
Apne kanha ki sun lo shikayat,jo batane ke kabil nahi hai,