में तो हीरो गमादियो कचरा में ,पांच पचीसों का झगड़ा में।
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घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
आठे रहना नाहीं देस बिराना है। वीराना है एक दिन जाना है
हाड़ मांस का पिंजरा, एक झटके में तोड़ के।
पिंजर भया पुराणा गेला,
पिजंर भया पुराणा रे,
जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहत चले बाड़ी,
सौदा करले जाननहार,
काया गढ़ में मंडियों बाजार,
मारा हंसला रे चालो शिखरगढ़,
काया कोठड़ी में रंग लागो।
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