अनमोल तेरा जीवन बातों में व्यर्थ खोया।
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
काया नगर रे बीच में रे,
लहरिया लम्बा पेड़ खजूर
चामड़े री पुतली भजन कर ले,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे।
में तो पुरबियों पूरब देश रो मारी हेली ।
इस आलीशान मकान का क्या देते हो आप किराया।
दिन दिन मैली होय चुनरिया दिन दिन मैली होय।
मैं कैसे उतरू पार नदिया अघम बहे।
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का,
समय का पहिया चलता है।
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