काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे।
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जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे।
जीवन तो भैया एक रेल है,
कभी पेसेंजर कभी मैल है,
थोड़ो राम जी ने भज ले गेला,
थने सतगुरु देवे हैला।।
काया तेरी माटी की हवेली।
अपने गुरु से क्या मांगू,
बिन मांगे सब कुछ मिल गया।
सद्गुरु प्यारे से,जिसका सम्बन्ध है,
उसको हर दम आनंद ही आनंद है।
हमारे हैं श्री गुरुदेव,
हमें किस बात की चिंता,
काया तेरी रेल बना दूंगी तब तेरो पिछो छोडूंगी
संतों सुरगां सूं आग्यो टेलीफोन,बुलाओ आग्यों राम को।
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