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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Gal motya ko haar, गल मोत्यां को हार,dadi bhajan

गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार

तर्ज,ना कजरे की धार

गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार,लेकर सोलह शृंगार मां, बनडी सी लागो जी। मां बनडी सी लागो जी।

थारे हाथ सोहनी चूड़ी, मां मेहंदी रची सुरंगी।चूड़ी की खनखन न्यारी, मां झांकी सजी सतरंगी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मन म्हारो मोह लियो है थारी,पायल की झंकार।

गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार,लेकर सोलह शृंगार मां, बनडी सी लागो जी। मां बनडी सी लागो जी।

थारे माथे बिंदिया चमके, नथली में हीरो दमके।थाने देख देख के दादी, भगतां को मनडो हरखे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺जादू चढ़ गया है मां,में भूली हूं घरबार।

गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार,लेकर सोलह शृंगार मां, बनडी सी लागो जी। मां बनडी सी लागो जी।

थारे रूप ने निर्खन तांई, में मंदीरिये में आई।पर देख थारी छटा ने,में सुध बुध सब बिसराइ।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺पल भर ना हटे है निजरां,थाने देखूं बारंबार।

गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार,लेकर सोलह शृंगार मां, बनडी सी लागो जी। मां बनडी सी लागो जी।

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