सतरंगी चुनरियाँ गजबण,
लहरियो, लहरावे,
Tag: Dharti satiya ri rajasthan
छोटे छोटे बालक बना दिए री तीनों देव सती ने।
नख पर धारि लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।
धरती माता नो वालो पेरू घाघरो,
में तो अमर चुनड़ी ओढू,
धरती सतिया री राजस्थान, वहां पे मेरा प्राण बसता,
सिर पे मां सोहे चुनरिया लाल, हाथों की मेहंदी लगती कमाल।
दादीजी या विनती म्हारी,सुनियो ध्यान लगाकर जी
बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार
श्याम तुम से मिलने का सत्संग ही बहाना है
थारी धरम ध्वजा फहराए