तर्ज,होलिया में उड़े री गुलाल की कहियो री मंगेतर से
तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना। जाने ना देना तुम जाने ना देना।तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना।
मिलजुल सखियों ने पलडा बनाया। उस पलड़े में श्याम को बिठाया।दूजे में सखियों का गहना,कि श्याम जी को जाने ना देना।🌺🌺 जाने ना देना तुम जाने ना देना।तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना।
इतने में नारद मुनि आए। देख के सब को बड़े हरसाए। मानो हमारा कहना कि श्याम जी को जाना है देना।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺जाने ना देना तुम जाने ना देना।तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना।
सखियों का सब गहना उतरा। श्याम जी का पलड़ा अभी भी ना झुक रहा। सखियों के भरे नैना, कि श्याम जी को जाने ना देना। 🌺🌺🌺जाने ना देना तुम जाने ना देना।तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना।
एक तुलसी का पत्ता मंगाया। उस पत्ते पर राधेश्याम लिखाया। पलड़ा हो गया बराबर, कि श्याम जी को जाने ना देना।🌺🌺🌺🌺🌺🌺 जाने ना देना तुम जाने ना देना।तन मन धन सब देना कि श्याम जी को जाने ना देना।