आ जाओ अब तो गिरधारी,
रास रचाने कुंजन में,
Tag: Hari bhakto ne raas rachaya buti ghol ghol ke
पीयो पीयो रे पीने वालो तुम श्याम नाम रस पीया करो,
चिट्ठी राम जी के नाम लिख दो।सारे भक्तों का प्रणाम लिख दो।
जब भक्त नहीं होंगे भगवान कहाँ होंगे,
रास रच्यो है
यमुना के तट हरी
रास रच्यो है
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ।
अरे रे रे घूमे रे रुणीचे थारो घोड़लो,
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे
हरी भक्तो ने रास रचाया, बूटी घोल घोल के।
भक्तों के घर भी सांवरे,आते रहा करो
You must be logged in to post a comment.