बांसुरिया लेकर आजा घनश्याम कदम के नीचे।
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रसिया का वेष बनाया , श्याम होली खेलने आया
भोर भई चिड़िया चैंचायी, कान्हा कलेवा मांगे राम
तेरा दीवाना हुआ बनवारी, सुन तुलसा प्यारी महारानी।
यह तो बता दो बरसाने वारी, मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें
श्याम मुझे छोटी सी गीता मंगवा दो,
सांवरे की महफिल लगे खाटू में,
ग्यारस पे खाटू में आकर तो देखो,
झुलनी पे सेठ सांवरो झुलवा ने जावे सा,
बज गए ढोल नगाड़े,होय क्या बात हो गई।
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