जो प्रेम गली में आए नहीं
वह प्रीतम का ठिकाना क्या जाने।
Tag: Abki mohan jaldi aao prem ki ekadashi
मोहन बन गए नर से नार
छमछम नाचे कृष्ण मुरार
मीरा जोवे बाट मेडतनी जोवे बाट, सांवरिया री ओलु आवे रे
पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।
मोहन हमारे मधुबन में तुम आया ना करो,
सखी दोष नहीं मनमोहन का,
वह बांस बुरे जिनकी बंसी,
एक सवाल है इस प्रेमी का,
तू बता दे श्याम मुझसे,
प्रेम तुझको है के नहीं,
ना पकड़ो हाथ मन मोहन, कलाई टूट जाएगी,
पहला जेड़ा प्रेम,
हमेशा कोनी रेवे ओ ।
कन्हैया प्रेम की बंसी बजाना तुम को आता है।
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