रसिया का वेष बनाया , श्याम होली खेलने आया
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भोर भई चिड़िया चैंचायी, कान्हा कलेवा मांगे राम
दिल की हर धड़कन से,तेरा नाम निकलता हैं।
यह तो बता दो बरसाने वारी, मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें
जिवडो तरसे नैना बरसे ,हाल हुआ बेहाल।