तर्ज,संतो स्वर्गा से आयो टेलीफोन
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,🌺🌺🌺🌺
दलाली हीरा लालन की।
लालि लाली सब कहे रे ,सबके पल्ले लाल ।
गाँठ खोल परखी नहीं रे ,इण विध भयो रे कंगाल ।दलाली हीरा लालन की ।
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,🌺🌺🌺🌺
दलाली हीरा लालन की ।
लाल पड़ी मैदान में रे ,खलकउ लाघ्यो जाय ।
नुगरे ठोकर मार दीनी ,सुगरे तो लीनी रे उठाय।
दलाली हीरा लालन की ।🌺🌺🌺🌺🌺
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,
दलाली हीरा लालन की ।
इधर से अंधा आविया ,उधर से अंधा जाय ।
आंधा से आंधा मिले रे ,मारग कुण तो बताय ॥
दलाली हीरा लालन की ।🌺🌺🌺🌺🌺
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,
दलाली हीरा लालन की ।
माखी बैठी शहद पर रे ,पंखुडियाँ लिपटाय ।
उड़ने रा सांसा पड़े रे ,लालच बुरी रे बलाय ॥
दलाली हीरा लालन की ।म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दलाली हीरा लालन की ।
लाली लालि सब केवे रे ,लाली लखीन जाय ।
लाली लखी रे दास कबीरा ,आवा रे गमन मिट जाय ।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दलाली हीरा लालन की ।
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,
दलाली हीरा लालन की ।