वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें।🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वह तो कहता है आदत बुरी छोड़ दो। हम बदलना ना चाहे तो वह क्या करें।
जिसके गम के अंधेरे में हम घीर गये। आया झोका हवा का तो हम गिर गए।🌺🌺🌺🌺 हम संभलना ना चाहे तो वह क्या करें।हम बदलना ना चाहे तो वह क्या करें।
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें।🌺🌺🌺🌺🌺
कौन कहता कभी हम गिरते नहीं, गिर पड़े तो कभी हम सम्हलते नहीं।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वह तो खाई में सीढ़ी लगाता रहा, हम निकलना ना चाहे तो वह क्या करें।
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें।🌺🌺🌺🌺🌺
जिस्म और जान को खो रहे यूं ही हम। उसने सब कुछ दिया रो रहे फिर भी हम।🌺🌺🌺🌺 वह तो रोते को हंसता हंसाता रहा, हम बहलना ना चाहे तो वह क्या करे।
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें।🌺🌺🌺🌺🌺