तर्ज,देना हो तो दीजिए
बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार। तूं करुणा की है मूरत,और ममता का भंडार।
निरख रही हो हम भक्तों को,बड़े प्यार से जग जननी।इसी तरह हम भक्तों को भी,तेरी ही सेवा करनी। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तूं हरदम देती रहना,हमको मां प्यार दुलार।
बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार। तूं करुणा की है मूरत,और ममता का भंडार।
तेरी ममता की छायां में,इसी तरह हम पले बढ़े। तेरी कृपा से ही माता, हम अपने पैरों पर खड़े।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तेरे बच्चों को देने में, तुम करती नहीं इनकार।
बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार। तूं करुणा की है मूरत,और ममता का भंडार।
हम बच्चों पर हरदम मैया, आशीर्वाद तुम्हारा हो। हे मात शेरोवाली, हर पल साथ तुम्हारा हो। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तुम हाथ दया कर रखना, सांचा तेरा दरबार।
बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार। तूं करुणा की है मूरत,और ममता का भंडार।