ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।।
तेरी मुरली पे जाऊं बलिहार रसिया, में तो नाचूंगी तेरे दरबार रसिया।
बंसी वाला कहां सो रहा है, तेरी दुनियां में क्या हो रहा है।
वृन्दावन नाचे मोर, अजी मोर,
मैं मोर देखने जाऊँगी,
मेरे सदगुरु दीन दयाल काग को हंस बनाते हैं।
इस आलीशान मकान का क्या देते हो आप किराया।
बिगड़ी बना देते हैं श्याम सुंदर राधा के पिया।
राम राम राम जी के दूत हनुमान जी।
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं,
मंदिर बिच रहते ओ भोले बाबा।
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