जग पर संकट आया बाबा मोर छड़ी लहराओ ना।
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श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल,
तुम बिन रह्यो न जाय हो ॥
सांवरा सलोना कान्हा मेरे मन को भा गया,
मोरछड़ी हाथां में थारे
मुखड़ो चमके
कोई आवे या ना आवे, यो आड़े आसी जी,
सांवरा थारी माया रो
पायो कोनी पार।
मोर मुकुट मुरली की कसम हम तुमसे मोहब्बत करते हैं
मोरछड़ी जद लहरावै तो भगता की बिपदा भागी,
अब तू ही है साथी अब तू ही है हमदम,
तुझसे ही बंध गया मेरे जन्मो का बंधन,
वृंदावन बोले मोर, ओ मोर, गोकुल में शोर भयो भारी।
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