तेरा सतगुरु भरम मिटाए रे सखी,भरम भूल में सोवे से।
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मेरे सदगुरु दीन दयाल काग को हंस बनाते हैं।
सतगुरु मिलिया पागी ,
अब मारी सुरता भजन मे लागी।
मेरा सतगुरु भया रंगरेज ,
चूनर मारी रंग डाली।
थोड़ो राम जी ने भज ले गेला,
थने सतगुरु देवे हैला।।
बार बार वंदना, हजार बार वंदना,
चौरासी की नींद में, म्हारां सतगुरु आके जगा रे दिया,
ऐसी करी गुरुदेव दया,
मेरा मोह का बन्धन तोड़ दिया।।
हा रे सतगुरु आवोला,
अमृत रा प्याला कद भर पावोला,