हरी हरी भांग का मजा लीजिये,
सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,
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मने भांग घोट के पीला गोरा मैं होजा पावर फुल,
बनवा दे भोले सोने की एक अटरिया,
तेरा जादू न चलेगा मेरे भोले
काहे मारे मेरी गलियों के फेरे।
ये भांग ना घोटी जाए रे भोले क़मर टूट गईं हाए रे,
चल भोले के द्वार ठिकाना पाएगा,
मेरे सिरपर गठड़ी भांग की, बेबे जाना पड़े जरूर,भोला बैठ्या बाट में।
आज म्हारे भोले बाबा,
भांग घणी पीदी ओ,
भोले बाबा ये क्या हो रहा है।पाप हंसता धर्म रो रहा है।
मेरा नमन करो स्वीकार, हे भोले हे शिव शंकर त्रिपुरारी।
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