जब जब भी संकट का मुझ पर घेरा होता है
Tag: Darwaje aaya kon sakhi yah to bata do
अब तो बुला दरबार साँवरे,
मैं कर ना सकूँगा इन्तजार साँवरे,
एक सवाल है इस प्रेमी का,
तू बता दे श्याम मुझसे,
प्रेम तुझको है के नहीं,
सखी री बांके बिहारी से
हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।
आता रहूं दरबार भोलेनाथ,
मैं पाता रहूं तेरा प्यार भोलेनाथ,
खाटू वाले श्याम तेरा, सच्चा दरबार है,
तेरी जय जयकार बाबा, तेरी जय जयकार है।
छोटी छोटी सखियों में खेलती भवानी
श्याम को दरबार यो तो,
दीना को ठिकानो है,
आज हम नाचेंगे राधे के दरबार,
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
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