ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।।
पृथ्वी नीचे पाताल बनाया, ये मिट्टी कहां से लाया है।कुछ मेरी समझ न आया है,
ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।
भांति भांति के पेड़ बनाए, ये बीज कहां से लाया है।कुछ मेरी समझ न आया है।
ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।
तरह तरह के फूल खिलाए, ये रंग कहां से लाया है।कुछ मेरी समझ न आया है ।
ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।
तरह तरह के पशु पक्षी बनाए, ये आवाज कहां से लाया है। कुछ मेरी समझ न आया है।
ये कैसा खेल रचाया है, कुछ मेरी समझ न आया है।
तरह तरह के मनुष्य बनाए, ये सांचा कहां से लाया है ।
कुछ मेरी समझ न आया है,
ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।
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ये कैसा खेल रचाया है कुछ मेरी समझ न आया है।।