ओ कान्हा ओ कान्हा सुन लो विनती मेरी।
Tag: Dware par aa gaya hu mere ladle kanhaiya
दस वे कन्हैया चोरी किथे किथे किती आ,
कान्हा यो के आई थारा मन में,
गुजरया नचाई वृंदावन में।
लाल समझाए ले मैया, है नटखट तेरा कन्हैया।
लाडली अपने चरणों में रख लो मुझे।
इस पतित का भी उद्धार हो जायेगा।
आए तेरे द्वारे उद्धार करिए, खाटू वाले श्याम बेड़ा पार करिए।
कब से खड़ी हूं थारे द्वार म्हारा खाटू वाला श्याम,
एक बार लाड़ली जू,
हमें चरणों से लगा लो,
चल भोले के द्वार ठिकाना पाएगा,
द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अद्भुद खेल रचाया था,
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