तुने पानी में ज्योत जलाई, तेरी जय हो ज्वाला माई।
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नौ नौ रूप मैया के तो,
बड़े प्यारे लागे,
जहाँ आसमां झुके जमीं पर,
सर झुकता संसार का,
बैठी पहाड़ों पे मैया,हो गया है देखो भोर
फूल है वो किस्मत वाले जो,
तेरे गले के हार में है,
उसको मेरी सेवा का अधिकार है,
करता जो अपनी माँ से प्यार है,
कान्हा मेरे एकबार तो आ जाइयो,मधुवन की कुंज गलिन में।
अपने गम की दास्तां कैसे करूँ बयां
तू सब कुछ है जानती, अंतर्यामी माँ,
दे दो अपनी नौकरी मैया जी एक बार,