ओं मेरे कान्हा तेरा मुस्कुराना
भूल जाने के काबिल नहीं है।
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कान्हा मेरे एकबार तो आ जाइयो,मधुवन की कुंज गलिन में।
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना
भूल जाने के काबिल नहीं है
घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
सुंदर सखी दो कुमार, कुमार मैंने देखे।
बजरंगी करो विश्राम, सत्संग पूरा हुवा।
एकबार भला मुस्काते चलो, श्री राम जनक भगवान हो