करके सोलह श्रृंगार, के भोला बन गये नर से नार
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हर देश में तू हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,
दलाली हीरा लालन की।
बजरंग बालाजी अंजनी लाला जी,
तेरा सिंदूरी तन मन भाये,
बड़ी दूर से चलकर आया हूं,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए,
वो नैना किस काम के,दीवाने जो ना राम के
भगवती सामने खुद खड़ी,नाम जपलो घड़ी दो घड़ी
मेरा रूठे ना सतगुरु प्यारा, चाहे सारा जग रूठे
उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
ठुमक ठुमक कर घोड़ो आवे मोतिया जड़ी लगाम
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