उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
भोर हुई चिड़िया चहचानी, मै घर घर मे डोल आई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
नहाय धोय आसन पर बैठी , निंदिया बैरी आय गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
हुई दोपहर जब भोजन पकाया, मै गप गप खाय गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
शाम हुई जब निकले हैं तारे, मैं डाल खटोला सोय गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
धर्मराज जब लेखा खोले, मैं थर थर कांप गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
यम के दूत जब लेने को आए, मै सच सच बोल गयी माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।