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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Umar sari bit gayi mala na feri,उमर सारी बीत गयी माला न फेरी,nirgun bhajan

उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।

उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।

भोर हुई चिड़िया चहचानी, मै घर घर मे डोल आई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।


नहाय धोय आसन पर बैठी , निंदिया बैरी आय गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।


हुई दोपहर जब भोजन पकाया, मै गप गप खाय गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।


शाम हुई जब निकले हैं तारे, मैं डाल खटोला सोय गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।


धर्मराज जब लेखा खोले, मैं थर थर कांप गई माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।


यम के दूत जब लेने को आए, मै सच सच बोल गयी माला न फेरी।उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।

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