मैं तो दौड़ी आयी जमुना के तीर कन्हैया तेरी बंसी बजी।
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कन्हैया तोसे नैन मिलाकर,तेरी दीवानी हो गई।
गली-गली मत उगे तुलसा, कोई नहीं सीचन आवेगा
चरणों में बैठे हनुमान ओ राम जी के मंदिर में,
मेरी भरी मटकिया ले गयो कान्हा बंशी वालो ।
जितना राधा रोई रोई कान्हा के लिए,
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,
जो भी आता है इस दर पे मिलता उसे जरुर है,
होले होले बांसुरी बजायियो रे कन्हैया,राधा झूलने आई रे,
कान्हा कान्हा कब से पुकारू हर पल तोरी राह को निहारु,
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