पीपल की छांव में, ठंडी हवाओं में, बैठी है मेरी मैया, सबकी निगाहों में।
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कन्हैया बागों में मत जाइयो बाग की मालन मोह लेगी।
आ गया तेरे दर पे बाबा अब ना खाली जाऊँगा
चोरी माखन की दे छोड़ कन्हीया मैं समझाऊँ तोय,
राम के दरबार में जो आ गया।जिसने जो मांगा वो सबकुछ पा गया।
मेरे उठे जिगर मे पीर कन्हैया तेरी याद में,
लाखों महफ़िल जहाँ में युंतो
तेरी महफ़िल सी महफ़िल नही है
दरबार तुम्हारा श्याम, दुनिया से निराला है,
कानूड़ा का दिल लूट ले गई गुजरी।
कन्हैया तेरी मेहरबानी रहे,
जब तलक ये मेरी जिंदगानी रहे,
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