तर्ज,गड्डी जांदी ऐ छलांगाँ मारदी
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,
तेरा सोहना दरबार, दाती हो गई दातार
लै जाओ, जयकारे बोल के,
मईया बैठी है, भंडारे खोल के,
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के।
बांझण को देती वो पुत्र, निर्धन को धन माया माँ
कोढ़ी को दे,ती वो पल में, ऐसी सुंदर काया माँ,
करो माँ का गुणगान, उसकी माया है महान,
दे जाऐ वर, मुख खोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,,,
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
पत्थर कंकर, को भी मईया, पल में हीरा बनाऐ।
जिस पे दया, हो जाती माँ की, भव से वो तर जाऐ,
करे जग का उद्धार, मेरी दाती है दातार,
चढ़ो पर्वत, जयकारे बोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
सारे जग में, सब धर्मों से, धर्म सनातन प्यारा है,
हम भक्तों को भी, मईया तेरा सहारा है,
उसकी सुन लो पुकार, विनती करे बारम्बार,
दर्शन पाओ, जयकारे बोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
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O maiya baithi hai bhandare khol ke,ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,durga bhajan
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,