सकल हंस में राम बिराजे ,
राम बिना कोई धाम नहीं।
Tag: darshan do ghanshyam
ऐ जी घनश्याम ,थारी मुरली कामनगारी म्हारा राज
श्याम सपनो में आए,
मुझे धीर बंधाए,
माना में मजबूर हूं लेकिन,श्याम मेरा मजबूर नहीं।
श्याम तेरे हाथों में हमारी डोर है,
तेरे सिवा जग में ना कोई और है,
सो जाऊं तो सपनों में घनश्याम तुम्हे देखूं
हाथों में ले श्याम ध्वजा, मन में ले विश्वास,
ऐलान करता हू, सरे आम करता हूँ,
मैं तो मेरे ही श्याम का, गुणगान करूँगा,
तुम रूठ गए जो मुझसे क्या हाल हमारा होगा।
अर्पण किया है श्याम को जो भी तुझको वापिस बाँट दिया।
You must be logged in to post a comment.