नाथ ये वो ही है रघुनाथ,
जिसने मारा है बाली।।
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यह कंचन का हिरण, नाथ हमें लगता प्यारा है,
अब तो बुला दरबार साँवरे,
मैं कर ना सकूँगा इन्तजार साँवरे,
अरजी सुणज्यो जीतपुरार, थे तो भूतों के सरदार,
हे शिव भोले भंडारी,
मैं आया शरण तिहारी,
बाबो अमलीड़ो बाबो अमलीड़ो,
भक्ता ने लागे बालो,
तुम्हारे दर पे आना चाहती हूँ
अगर हरी तू जरा सी आस देदे,
तुम बिन नाथ कौन गति मेरी।
आता रहूं दरबार भोलेनाथ,
मैं पाता रहूं तेरा प्यार भोलेनाथ,
किस्मत वालों को मिलता है श्याम तेरा दरबार