जीवन तो भैया एक रेल है,
कभी पेसेंजर कभी मैल है,
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है
काया तेरी माटी की हवेली।
नाम हरी का जप ले बन्दे, फिर पीछे पछतायेगा।
तेरी जिंदगी दो दिन की,सह में लुटावे क्यों
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।
ये तन क्या हैं इक पिंजरा है,
इस पिंजरे में एक तोता है।।
चलो-२ सखी अब जाना,पिया भेज दिया परवाना।
अब तो सारा दुख भूलगी मारी हेली,
राम रतन धन पाय रे,
You must be logged in to post a comment.