माटी में मिले माटी पाणी में पाणी,🌺🌺
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
पाणी का बुलबला जैसे तेरी ज़िंदगानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।
भाई बंद तेरे काम ना आवे,🌺🌺🌺🌺🌺
कुटुंब कबीला तेरे साथ ना जावे,
संग ना चलेंगे तेरे कोई भी प्राणी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।
रही ना निशानी राजा वजीरो की,🌺🌺🌺
एक एक ठाठ जिनके लाख लाख हीरो की,
ढाई गज कपड़ा या डोली पड़ेगी उठानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।
खाना और पीना तो पशुओं का काम है,🌺🌺
दो घड़ी ना सत्संग किया करता अभिमान है,
बीती जाए यूँ ही तेरी ज़िंदगानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।
कर ले भलाई जग में काम तेरे आएगी,🌺🌺
जाएगा जहाँ से जब साथ तेरे जाएगी,
कहे दास अपनी छोटी सी कहानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।
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माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी।।