तर्ज,सो साल पहले मुझे तुमसे प्यार
राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है। करें भव से पार हैं। आज भी है और कल भी रहेगा।
चौरासी लाख योनियों मैं तो मरते जन्मते आया। बड़े भाग्य से तूने इस नर् तन का नंबर पाया। हरि के भजन में ही जीवन का सार है।🌺🌺🌺करें भव से पार हैं। आज भी है और कल भी रहेगा।राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है। करें भव से पार हैं। आज भी है और कल भी रहेगा।
साधन के बिना इस जीवन की, यह मंजिल पूर्ण न होगी। चाहे वह भोगी चाहे हो रोगी, संत हो चाहे योगी। हरी गुणगान में ही बेड़ा भव से पार हैं। आज भी है और कल भी रहेगा।🌺🌺🌺🌺राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है। करें भव से पार हैं। आज भी है और कल भी रहेगा।
तुलसी ने किया साधन जो राम की रामायण लिख डाली। और बाल्मिक ने मरा मरा कह, ब्रह्मा की पदवी पाली। बासुदेव नर तन ना, मिले बार-बार है। करे भव से पार हैं।🌺🌺🌺🌺🌺आज भी है और कल भी रहेगा।राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है। करें भव से पार हैं। आज भी है और कल भी रहेगा।