कैलाश के निवासी नमू बार बार हूं , नमू बार बार हूं।
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जब रूठ गये शिव शम्भु जा कैलाश पे गाड़े तंबू
ताश मिल खेलो सांवरिया,
जय श्री राधे वल्ल्भ श्याम,
द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अद्भुद खेल रचाया था,
मेरा शंकर भोला भाला, माँ प्यारा डमरू वाला।
हे शिव शंभू करुणा सिंधु जग के पालनहार
गुरु जी तैने कैसो खेल रचायो
तेरी माया को पार ना पायो।
पीहर न जाओ गौरा तेरा मेरा निरादर है।
बाली उमरिया मोरी
कान्हा मोसे खेलो न होली
ओ झुँझन वाली माँ,
क्या खेल रचाया है,
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