अरजी सुणज्यो जीतपुरार, थे तो भूतों के सरदार,
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कैलाश पर्वत पर जाकर रहूंगी।भोले को अपना बना के रहूंगी।
भोला ख़ुशी में कमाल कर बैठे
वो तो गौरा से प्यार कर बैठे।
कैलाश के निवासी नमू बार बार हूं , नमू बार बार हूं।
जब रूठ गये शिव शम्भु जा कैलाश पे गाड़े तंबू
हो भोले तेरे पर्वत पे कैसे छा रही छटा निराली है।
मेरा शंकर भोला भाला, माँ प्यारा डमरू वाला।
झूम रहे हैं पवन गूँज को सुनके पृथ्वीवासी,
आओ महिमा गाए भोले नाथ की
भक्ति में खो जाए भोले नाथ की
छीन लिया मेरा भोला सा मन मेरो राधारमण मेरो राधारमण।