खिड़की मत खोलो अटारी की, चोरी हो गई बांके बिहारी की।
Tag: Chori makhan ki de chod kanhaiya
सब ग्वाल चिपट गए माखन में,मेरी धूल झोंक गयो आंखन में।
मेरा माखन ना चुराओ श्याम पैयां पढ़ूँ,
माखन की लेकर मटकिया, कित जावे पतली डगरिया
छोड़ चला रे बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।
चोरी माखन की करे है दिन-रात जसोदा मैया तेरो लाला।
ओ कान्हा ओ कान्हा सुन लो विनती मेरी।
दस वे कन्हैया चोरी किथे किथे किती आ,
ओ सिर पे पंख मोर
बोले तोतले से बोल,
कहे इसे माखन चोर मेरे दिल में भावे से,
द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अद्भुद खेल रचाया था,
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