जग घूमेया श्याम जैसा ना कोई,
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तुने पानी में ज्योत जलाई, तेरी जय हो ज्वाला माई।
क्यों भटक रहा तु झूठे जगत में श्याम शरण ले ले,
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
बोल रही कोयल बरस रहा बादल,झूला झुला दे म्हारा सांवरिया
मैं ढूंढ चूका जग सारा,
पता ना कहीं तेरा मिला,
ये मेरी अर्जी है,
मै वैसी बन जाऊँ,
जो तेरी मर्जी
इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे।
ले के पूजा की थाली, ज्योत मन की जगाली,
तेरी आरती उतारूँ भोली माँ।
तुम राम कहो या श्याम कहो दोनों ही जग में सुंदर है।
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