ये तेरी रस भरी मुरली , मेरे मन को तड़पाती है।
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तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम
मुरली वाले श्याम हम तो तेरे हैं दीवाने।
मुरलीधरा मनमोहना, हे नंद नंदना श्री राधेमाधवा।
मुरली बजाने वाले, गिरिवर उठाने वाले,
मैं दास हूँ तुम्हारा, मैं दास हूँ तुम्हारा।
बांसुरिया लेकर आजा घनश्याम कदम के नीचे।
बाजे रे मुरलिया बाजे।
तेरी मुरली पे जाऊं बलिहार रसिया, में तो नाचूंगी तेरे दरबार रसिया।
जितना राधा रोई रोई कान्हा के लिए,
बैकुंठ में रहकर गिरधारी,मुरली का बजाना भूल गए
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