मुरलीधरा मनमोहना, हे नंद नंदना श्री राधेमाधवा।
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छोटो-सो बिंदायक रग-मग चालै, पांच लाडू खाबा न,
सालासर वाला हरियो विघन सब दूर।
हे दशरथ नंदन दया करो, हम शरण तुम्हारी आए हैं
आओ गजानन प्यारे, हो गिरिजा के दुलारे।
तुम हो गणेश बेमिसाल बेमिसाल
सुखकर्ता की दुःख हर्ता विध्न विनाशक गणराया।
आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में
गौरी नंदन थारो अभिनंदन, करे सारो परिवार