आज तो राधे रानी ने श्याम लेबा आया जी
Tag: Aaya sawan bada manbhawan
सावन की रमझोल आगी,
झूलन की रमझोल,
ओ सिर पे पंख मोर
बोले तोतले से बोल,
कहे इसे माखन चोर मेरे दिल में भावे से,
सुन्दर भवन बना के,
मात मेरी बैठी आसन ला के।।
सावन बिता कार्तिक बिता और बिता फागुन मास।
मुखड़ा लगे बड़ो प्यारो कि राधा रानी घुंघटा न डालो।
मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
म्हारा खूब सज्या रे दीनानाथ,
म्हारा मन मोह लिया,
जब भी बुलाओ चली आऊंगी, गणपति तेरे भवन में।
सावन आयो आओ नंदलाल,
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