राम ने धनुवा तोड़ा जानकी तेरे लिए।
Tag: chamke more ram
में वन का मोर बन जाऊं,और गाऊं राधे राधे।
शबरी राम को बेर खिला रही,मीठे चाख चख के।
मोर मुकुट तेरे हाथों में बांसुरीया,
मोर छड़ी के झाड़े से बदल गए हालात
राम घर आया शबरी,
करे है बधावना,
वृन्दावन नाचे मोर, अजी मोर,
मैं मोर देखने जाऊँगी,
सेवा में गुजरे,
वक्त हनुमान का,
ऐसा है सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
जब मैंने भजन लगाया मां छम छम नाचे।
नजदीक मेरे आने में आफत घबराती है,
मेरे सर पर श्यामधणी की मोरछड़ी लहराती है ,
You must be logged in to post a comment.