तर्ज, तुझे सूरज कहूं या चंदा
इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे। इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
है गुरु ज्ञान की गंगा कोई देखे इस में नहा के। युग युग के पाप कटेंगे कोई देखे शीश झुका के। सतगुरु ही एक नजर में भवसागर पार उतारे।इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे। इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
चाहे ब्रह्मा हो चाहे विष्णु चाहे शिव शंकर कैलाशी। बिना गुरु कटे ना जग में यह जुनी लख चौरासी। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺जब नाव भंवर में डोले सतगुरु ही आय उबारे।इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे। इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
है गुरु प्रेम के सागर रह-रह अमृत वर्षावे। कोई इस अमृत को चाखे, कोई इस अमृत में नाहावे। है गुरु शरण में बंदे दुनिया के सभी नजारे। 🌺🌺इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे। इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
है दया धर्म सतगुरु से सतगुरु से है रोशनायी। तेरी तृष्णा ने मारे घट घट में जोत जगाई। आ गुरु शरण में बंदे क्यों देर लगावे प्यारे।🌺🌺🌺 इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।
इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे। इस जग में ऐसे चमके श्री सतगुरु देव हमारे।