तर्ज,नफरत की दुनिया को छोड़ के
क्यों भटक रहा तु झूठे जगत में श्याम शरण ले ले, करले भरोसा श्याम का। हे श्याम नाम का अमृत बहता, एक प्याला पी ले, करले भरोसा श्याम का।
जीवन की उलझन को कर श्याम हवाले तु। तेरी नाव नहीं डूबे, इसे माझी बना ले तू। यह शरणागत को बीच भंवर में ,छोड़े ना अकेले ,करले भरोसा श्याम का।
क्यों भटक रहा तु झूठे जगत में श्याम शरण ले ले, करले भरोसा श्याम का। हे श्याम नाम का अमृत बहता, एक प्याला पी ले, करले भरोसा श्याम का।
तेरे साथ नहीं कोई यह चिंता मत करना। हो लाख मुश्किलें भी तू कभी नहीं डरना। तेरे आस पास लग जाएंगे रे, खुशियों के मेले, करले भरोसा श्याम का।
क्यों भटक रहा तु झूठे जगत में श्याम शरण ले ले, करले भरोसा श्याम का। हे श्याम नाम का अमृत बहता, एक प्याला पी ले, करले भरोसा श्याम का।
यह प्रेम का है भूखा रहे प्रेमी के बस में। तू प्रेम अगन जगा, अपने तो नस नस में। हो मस्त मगन तूं जाग बावरे जग के झमेले, करले भरोसा श्याम का।
क्यों भटक रहा तु झूठे जगत में श्याम शरण ले ले, करले भरोसा श्याम का। हे श्याम नाम का अमृत बहता, एक प्याला पी ले, करले भरोसा श्याम का।