घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
पहलो सोयो मात गरभ में,
उल्टा पाव फ़सार,
बोल वचन कर बहार आयो,
भूल गयो जगदीश ।
जन्म थारो हो लियो रे,
अब जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
दूजो सोयो माँत गोद में,
हस हस दांत दिखाय,
बहन भुआ सब लाड लड़ावे,
हो रयो मंगला चार ।
लाड थारो होरयो रे,
अब जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
तीजो सोयो स्त्रिया संग में,
गले में बाहे डाल,
किया भोग सब रोग से दुखिया,
तन हो गयो बेकार ।
विवाह थारो होरियो रे,
अब जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
चोथो सोयो शमशाना में,
लम्बे पाँव फसार,
कहे कबीर सुणो रे भई संतों,
जीव अग्नि में जाय ।
प्रण थारो हो रियो रे,
अब जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।