ये ज़िंदगी मिली है दिन चार के लिये,
Category: विविध भजन
दिल से दिल भर के न देखी, मूर्ति भगवान की।
रमते रावल ने म्हारा,
आदेश देणा,
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई।
बैठी थी घमंड में,में बैठी थी गुमान में।
पापी के मुख से राम नही निकले,
केसर घुल गयी गारा में,
अरे मेरी कोठी गड़ री चार, मैं क्यों राम रटन लागी
हरि नाम के रस को पी पीकर,
आनंद में जीना सीख लिया,
तेरा द्वारा घणा से प्यारा, जगत ते न्यारा मैं देखण आग्या गोगा जी,
जे तेरा हो भगती में ध्यान,
कर्म ते हटिये मत ना।।
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