जद भी पड़ी कोई दरकार,लीले चढ़ आयो सरकार,
Tag: Amrit baras raho satsang me
मन तू सतसंग करले भाई, आधी मे पुनिआध,
गुरु चारणन की उड़ रही धूल,धूल मोहे प्यारी लगे
सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में
पुड़िया ज्ञान की पिलादे गुरुदेव दर्द मेरी नस-नस में,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
मैंने छान छान पिया पानी, सतगुरु तेरी अजब कहानी।
अमृत बरस रहो सत्संग में अरे मन पी लेे बाबरिया।
ले बाबा का नाम अमृत बरसेगा,
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
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