अरे रे रे घूमे रे रुणीचे थारो घोड़लो,
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तूं पूजा पाठ करे जा, दुनिया जाली हल जोड़के।
मैने ऐसा सतगुरु पाया है,अभिमान करना छोड़ दिया।
गुरु चारणन की उड़ रही धूल,धूल मोहे प्यारी लगे
पुड़िया ज्ञान की पिलादे गुरुदेव दर्द मेरी नस-नस में,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,